देवरिया। खुखुंदू के जुआफर गांव में घर पर बैठे बुजुर्ग शमशुल हक और पत्नी हाजरा खातून डीएसपी (पुलिस उपाधीक्षक) बेटे जियाउल हक की चर्चा होते ही मायूस हो गए। बीती बातों को याद करते बोले- ड्यूटी पर तैनात मेरे बेटे की जिस तरह हत्या की गई, 10 साल बाद भी हम उसे भूल नहीं पाए हैं। अफसोस बस इतना है कि कातिल आज भी बचे हुए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआइ को जांच जारी रखने का आदेश देकर इस बात की उम्मीद जगा दी है कि कातिलों को जल्द ही सजा मिलेगी।
डीएसपी जियाउल हक हत्याकांड में सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के उस आदेश को निरस्त करते हुए ट्रायल कोर्ट के आदेश को बहाल कर दिया है, जिसमें ट्रायल कोर्ट ने कुंडा विधायक रघुराज प्रताप सिंह और उनके सहायक के विरुद्ध सीबीआइ की क्लोजर रिपोर्ट को खारिज करते हुए जांच जारी रखने का आदेश दिया था। सुप्रीम कोर्ट के प्रति आभार जताते हुए माता-पिता ने कहा कि अब लग रहा है कि बेटे के कातिलों को जरूर सजा मिलेगी।
बेटे जियाउल को याद कर मां फफक पड़ीं। बोलीं बेटे की याद बुढ़ापे में सालती हैं। कलेजे को ठंडक तभी मिलेगी जब उसके कातिलों को सजा होगी। पत्नी परवीन आजाद व भाई सोहराब ने मोबाइल फोन पर हुई बात में कहा कि हत्या में शामिल लोगों को सजा मिले, यही जियाउल के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
प्रतापगढ़ जिले के कुंडा में तैनात डीएसपी जियाउल हक की दो मार्च 2013 की रात हथिगवां के बलीपुर में ड्यूटी के दौरान हत्या कर दी गई थी। हत्याकांड की जांच कर रही सीबीआइ ने रघुराज प्रताप सिंह, गुलशन यादव समेत उनके चार सहयोगियों के खिलाफ क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की थी।
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