गोरखपुर।आज दिनांक 24 अगस्त 2022 में स्टार हॉस्पिटल प्रा० लि० बैंक रोड गोरखपुर में रजोनिवृत्ति (मेनोपॉज) के लक्षण और उपचार के प्रोग्राम का आयोजन किया गया। इस प्रोग्राम में डा० सुरहीता करीम एवं डा० अमृता सरकारी जयपुरियार मैडम ने बताया कि कुदरती रूप से जब महिलाओं में मासिक धर्म चक्र पूरी तरह बंद हो जाता है तो उस स्थिति को रजोनिवृति (मेनोपॉज) कहते हैं। रजोनिवृति (मेनोपॉज) में महिलाएं मां बनने की क्षमता खो देती है। महिलाओं के लिए शरीर की ये अवस्था उसके लिए शारीरिक और मानसिक तौर पर बहुत सारे बदलाव लाती है। लेकिन ये कोई बीमारी नहीं बल्कि शरीर की सामान्य गतिविधि है जो उम्र के साथ आती है। इसके लिए बिना स्ट्रेस लिये समझदारी से संभालने की जरूरत होती है।
रजोनिवृत्ति क्या है
रजोनिवृत्ति में मासिक धर्म (पीरियड्स) का जो चक्र है वह बाधित होता है। साथ ही वह प्राकृतिक रूप से गर्भवती (प्रेगनेंट) नहीं हो पाती है। उम्र के बढ़ने के साथ रजोनिवृत्ति होना बहुत नॉर्मल होता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि फिमेल सेक्स हार्मोन का फंक्शन उम्र के साथ कमजोर होने लगता है। अंडाशय ,अंडा निष्कासित करना बंद कर देता है, इससे पीरियड्स भी नहीं होता है। महिलाओं में इन सब कारणों से गर्भधारण की क्षमता भी नगण्य हो जाती है। इसका मतलब ये नहीं कि अचानक आपको रजोनिवृत्ति हो जाएगी। ये प्रक्रिया धीरे-धीरे होती है और जब पूरी तरह मेनोपॉज का समय आता है तब पीरियड्स होना बिल्कुल बंद हो जाता है। जब तक पीरियड्स बंद न हो, उसके पहले गर्भवती होने की संभावना बनी रहती है।
रजोनिवृत्ति क्यों होती है
अधिकतर महिलाओं में मासिक धर्म के आखिरी तारीख के लगभग चार साल पहले से रजोनिवृत्ति के लक्षण दिखाई देने लगते हैं। कुछ महिलाओं को मेनोपॉज होने के एक साल पहले ही इसके लक्षण नजर आ सकते हैं। इन लक्षणों का दिखना महिलाओं की शारीरिक स्थिति पर निर्भर करता है। रजोनिवृत्ति होने के कई साल पहले से शरीर एस्ट्रोजेन और प्रोजेस्ट्रोन हार्मोन का निष्कासन करना धीरे-धीरे कम करने लगता है। ये हार्मोन मासिक धर्म होने और गर्भधारण करने में मदद करते हैं। इसके कमी से पीरियड्स होना बंद हो जाता है और मां बनने की क्षमता भी खत्म होने लगती है।
रजोनिवृत्ति की उम्र
भारत में महिलाओं में रजोनिवृत्ति की उम्र आम तौर पर 45-50 के बीच होती है। लेकिन, सर्जरी या कैंसर होने पर समय से पहले अगर अंडाशय और गर्भाशय को निकालना पड़ा तो समय से पहले रजोनिवृत्ति हो सकता है।
पेरिमेनोपॉज यानि मेनोपॉज के पहले पीरियड्स का अनियमित होना शुरू होता है और मेनोपॉज में पीरियड्स होना बिल्कुल बंद हो जाता है। पोस्टमेनोपॉज की अवस्था मेनोपॉज के बाद ही आती है। पेरिमेनोपॉज 40 की उम्र के मध्य से आम तौर पर शुरू हो जाता है। लेकिन कुछ महिलाओं में ये अवस्था आती ही नहीं बल्कि वह सीधे मेनोपॉज में चली जाती है। [1]।
रजोनिवृत्ति के संकेत और लक्षण [2]
वैसे रजोनिवृत्ति से जुड़े ज्यादातर लक्षण पेरिमेनोपॉज की अवस्था के दौरान ही महसूस होने लगते हैं। इस अवस्था में कुछ महिलाओं को कष्ट होता है तो कुछ को नहीं।
जैसा कि पहले ही कहा गया है कि मेनोपॉज अचानक नहीं होता है, धीरे-धीरे समय के साथ होता है। जिसमें शुरू-शुरू के लक्षण होते हैं-
-अनियमित मासिक धर्म- नियमित मासिक धर्म का जो चक्र होता है उसमें परिवर्तन आने लगता है।
-हॉट फ्लाश महसूस होना- अचानक-अचानक हद से ज्यादा गर्मी महसूस होने लगती है।
-रात को पसीने से तर-बतर होना- गर्मी न होने पर भी रात को नींद में हद से ज्यादा पसीना आना।
इसके साथ ही कई और लक्षण भी महसूस होते हैं-
-मूड का बदलना
-अवसाद (डिप्रेशन)
-चिड़चिड़ापन
-चिंता
-नींद नहीं आना
-एकाग्रता की कमी (कंसन्ट्रेशन में प्रॉब्लम)
-थकान
-सिरदर्द
वैसे तो ये लक्षण एक साल या उससे भी ज्यादा दिनों तक आमतौर चलता रहता है लेकिन पीरियड्स के बंद होने के साथ-साथ ये लक्षण धीरे-धीरे कम होने लगते हैं और फिर ठीक हो जाते हैं।
मेनोपॉज के बाद सेक्स हार्मोन के कम जाने के कारण कुछ लक्षण नजर आने लगते है, वे हैं-
• वैजाइना का ड्राई होना
• सेक्स करने की इच्छा में कमी
• वैजाइना के ड्राई हो जाने के कारण सेक्स करने के दौरान दर्द होना
• ऑर्गैज़्म तक पहुँचने में मुश्किल होना
• यूरीनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन होने की ज्यादा संभावना
• बार-बार पेशाब करने की इच्छा
• हड्डियों का कमजोर हो जाना
• स्किन संवेदनशील और शुष्क होना
• बैड कोलेस्ट्रॉल का उच्च होना
• दिल की बीमारी होने का खतरा ज्यादा होना
• मेनोपॉज के लक्षणों को कैसे करेंगे कंट्रोल
• अगर मेनोपॉज के लक्षण समय के साथ कम नहीं हो रहे हैं और ये आपके रोजमर्रा के जीवन को बूरी तरह से प्रभावित कर रहा है तो इलाज की जरूरत होती है। हार्मोन थेरेपी से इस स्थिति को संभाला जा सकता है। जैसे-
• -हॉट फ्लैश
• -रात में पसीना आना
• -वैजाइनल एट्रॉपी (वैजाइना का शुष्क हो जाना)
• -ऑस्टियोपोरोसीस (हड्डी कमजोर हो जाना)
• मन को शांत करने का उपाय
• रजोनिवृत्ति के दौरान सबसे ज्यादा मन अशांत और विचलित रहता है, जिसके कारण अवसाद, उदासी या मन में बेचैनी-सी छाई रहती है, हर बात पर चिड़चिड़ापन, बार-बार गुस्सा आना या अपने गुस्से पर से नियंत्रण खो जाने की भी नौबत आ जाती है। इसके लिए जरूरी है कि आप योगाभ्यास या मेडिटेशन करें। इससे मन को कुछ हद तक शांत किया जा सकता है।
• डायट में सप्लीमेंट
• ऑस्टियोपोरोसीस, अनिद्रा और थकान जैसे समस्याओं को कंट्रोल करने के लिए डॉक्टर से सलाह लें और उसके अनुसार कैल्शियम, विटामिन डी और मैग्निशियम के सप्लीमेंट लें [4]।
डॉक्टर सुरहीता करीम ने स्टार हॉस्पिटल की तरफ से सब का अभिनंदन किया । उपस्थित रहे मोहम्मद अहमद, फ़ारूक़ खान, ,मोहम्मद कलीम का विशेष सहयोग रहा।
डॉ सुरहीता करीम
स्टार हॉस्पिटल प्राइवेट लिमिटेड
गोरखपुर
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