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*आदित्य बिरला ग्रुप द्वारा दिया जाता है पुरस्कार।
*पुरस्कारों की सूची में भारत की बड़ी हस्तियां शामिल।
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गांव में खुशी का महौल।
देवरिया। बुधवार को दिल्ली में आदित्य बिरला ग्रुप द्वारा महात्मा पुरस्कार का वितरण किया गया। जिसमें देश की करपोरेट एवं खेल जगत की हस्तियां शामिल थी।
उसमें कन्हौली रुद्रपुर जनपद देवरिया के लाल तीरंदाज संजीव कुमार सिंह को भी महात्मा पुरस्कार से सम्मानित किया गया। पुरस्कार देश कीपथम महिला आईपीएस व पांडिचेरी की लेफ्टिनेंट गवर्नर रही डॉक्टर किरण बेदी ने प्रदान किया ।संजीव कुमार सिंह ने अपने 43 साल के कैरियर में तीरंदाजी को मुख्य माना। आजकल वह अपने गांव में आर्चरी एकेडमी खोलकर
ग्रामीण प्रतिभाओं को प्रशिक्षित करने का कार्य कर रहे हैं। उनके इस प्रयास को वैश्विक स्तर पर सराहना मिल रही है। कन्हौली ग्राम में भूटान की टीम ने आकर तीरंदाजी का प्रशिक्षण प्राप्त किया है। उनके कार्य से गांव में भी खुशी का माहौल है। सरस चंद्र, आलेख त्रिपाठी, जय कृत सिंह,अनिल कुमार सिंह, अमित कुमार,पवन सिंह, सुभाष चौधरी, डॉक्टर मधु सिंह आदि ने बधाई दी।
तीरंदाज संजीव कुमार सिंह बोले।
महात्मा पुरस्कार पाकर मैं सचमुच अभिभूत हूँ। इस सम्मान के लिए निर्णायक मंडल के प्रति मेरी हार्दिक कृतज्ञता, जिसे मैं उन सभी की ओर से स्वीकार करता हूँ जिन्होंने एक खिलाड़ी, कोच और प्रशासक के रूप में इस 43 साल के सफ़र में मेरे साथ कदम रखा है।
मैं इस पल के लिए अपने माता-पिता का ऋणी हूँ, जिन्होंने मुझे खेलों के माध्यम से राष्ट्र की सेवा में अपना जीवन समर्पित करने के लिए प्रोत्साहित किया। मैं टाटा समूह का भी आभार व्यक्त करता हूँ, जहाँ मैंने अनुशासन, निष्ठा और समाज के प्रति समर्पण के मूल्यों को आत्मसात किया—ये मूल्य आज भी मेरा मार्गदर्शन करते हैं।
यह सम्मान मेरे सहयोगियों - ओएनजीसी, एसबीआई फाउंडेशन, इंडियन ऑयल और एसटीसीआई - के प्रति भी एक श्रद्धांजलि है, जिन्होंने भारत के पहले ग्रामीण विश्व तीरंदाजी स्कूल, तीरंदाजी अकादमी और पैरा तीरंदाजी केंद्र की स्थापना में मेरा साथ दिया। हम सब मिलकर प्रतिभाओं की एक ऐसी श्रृंखला तैयार कर रहे हैं जो
2036 ओलंपिक और उससे आगे की ओर देख रही है।
महात्मा गांधी की भावना में, मैं यह पुरस्कार ग्रामीण भारत के उन युवा लड़के-लड़कियों को समर्पित करता हूँ जिनके सपनों को पंख लगने चाहिए। यह उन्हें यह विश्वास दिलाने के लिए प्रेरित करे कि अनुशासन और अवसर के साथ, वे भी हमारे देश का नाम रोशन कर सकते हैं।
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