देवरिया!मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. ए.के. वैश्य ने बताया है कि जनपद देवरिया को अब तक कुल 1,55,000 डोज़ एल.एस.डी. वैक्सीन प्राप्त हुई है, जबकि 21वीं पशुगणना के अनुसार कुल 1,50,934 गोवंश अनुमानित हैं। दिनांक 16.09.2025 तक 1,19,400 डोज़ लगाए जा चुके हैं।
जनपद के 16 विकासखण्ड स्तरीय पशु चिकित्सालयों को 1,42,100 डोज़ गोवंश की संख्या के अनुसार उपलब्ध करा दी गई है। वर्तमान में 22,700 वैक्सीन पशु चिकित्सालयों पर तथा 12,900 वैक्सीन केंद्रीय भंडार में शेष हैं।
जनपद में कुल 160 ईपी सेंटर हैं, जिनमें 320 गांव सम्मिलित हैं। अब तक जनपद में एल.एस.डी. बीमारी से 2003 गोवंश संक्रमित पाए गए, जिनमें से 1483 गोवंश स्वस्थ हो चुके हैं। वर्तमान में 520 गोवंश संक्रमित हैं, जिनकी निरंतर चिकित्सा व अनुश्रवण किया जा रहा है।
जनपद के कुल 1174 ग्रामों में से बिहार बॉर्डर पट्टी के 165 ग्रामों में शत-प्रतिशत टीकाकरण कार्य पूर्ण कर लिया गया है। शेष 1009 ग्रामों में से 852 ग्रामों में रिंग वैक्सीनेशन तथा 57 ग्रामों में सामान्य टीकाकरण कार्य संपन्न हो चुका है। अब तक कुल 1081 ग्रामों में एल.एस.डी. टीकाकरण कार्य पूरा हो चुका है, जिससे स्थिति नियंत्रण में है।
सभी विकासखण्डों में 16 टीमें लगातार टीकाकरण, चिकित्सा और अनुश्रवण कार्य कर रही हैं। आपात स्थिति को देखते हुए दिनांक 14.09.2025 से मोबाइल वेटनरी यूनिट की 05 गाड़ियां 1962 नंबर के माध्यम से अग्रिम आदेश तक आपातकालीन सेवाएं प्रदान कर रही हैं। इस संबंध में निर्देश प्रमुख सचिव, पशुधन एवं निदेशक प्रशासन एवं विकास, पशुपालन विभाग द्वारा दिनांक 13.09.2025 को सुबह 11:00 बजे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जारी किए गए।
डॉ. वैश्य ने बताया कि एल.एस.डी. बीमारी जानलेवा नहीं है। यह केवल गोवंश को प्रभावित करती है और सामान्यत: 15 दिन से 1 माह के भीतर पूर्ण रूप से ठीक हो जाती है। इस बीमारी से मृत्यु दर 1 प्रतिशत से भी कम है तथा केवल 7 प्रतिशत गोवंशों में ही लक्षण प्रकट होते हैं। मनुष्यों में इसका संक्रमण नहीं होता है।
सभी खंड विकास अधिकारियों और अधिशासी अधिकारियों को निर्देशित किया गया है कि वे अपने-अपने क्षेत्रों में वेक्टर नियंत्रण, फॉगिंग, सेनेटाइजेशन तथा बीमारी के ईपी सेंटर पर आवागमन प्रतिबंध सुनिश्चित करें। इस उद्देश्य से जिला स्तरीय एल.एस.डी. रोकथाम अनुश्रवण समिति की बैठक आयोजित की जाएगी।
जनता से अपील की गई है कि अफवाहों पर ध्यान न दें, सतर्क रहें, धैर्य रखें तथा बीमारी की प्रकृति और प्रबंधन के संबंध में राजकीय पशु चिकित्सालयों से संपर्क कर वैज्ञानिक परामर्श के अनुसार ही उपचार कराएं। विशेष रूप से कॉर्टिकोस्टेरॉयड व उच्च एंटीबायोटिक दवाओं का अंधाधुंध प्रयोग न करें।
प्रतिदिन गूगल मीटिंग के माध्यम से रोग नियंत्रण की समीक्षा की जाती है। वर्तमान में स्थिति नियंत्रण में है तथा वैक्सीन पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है।
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