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रविवार, 27 अक्टूबर 2024

संस्कृत है विज्ञान की भाषा, प्रदेशभर में फिर से शुरू किये जाएंगे गुरुकुल पद्धति के विद्यालय : योगी आदित्यनाथ

 


*- मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने वाराणसी से संस्कृत छात्रवृत्ति योजना का किया शुभारंभ*


*- प्रदेश के 69,195 विद्यार्थियों को मिलेगा छात्रवृत्ति योजना का लाभ*


*- संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में हुआ ऐतिहासिक समारोह*


*- बोले मुख्यमंत्री, कंप्यूटर साइंस और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसी आधुनिक तकनीकों में भी उपयोगी है संस्कृत*


*- संस्कृत ही हमारी असली ताकत, इससे ही विश्वगुरु के रूप में उभर सकता है भारत : योगी आदित्यनाथ* 


*- नि:शुल्क छात्रावास और भोजन की व्यवस्था करने वाले संस्थानों को सरकार की ओर से मिलेगी विशेष सहायता : मुख्यमंत्री*  


*- वैदिक विज्ञान केंद्र के माध्यम से संस्कृत के विशिष्ट शोध को प्रोत्साहित कर रही सरकार : सीएम योगी* 


*- संस्कृत विद्यालयों में शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया में लाई जाएगी तेजी : योगी आदित्यनाथ*


*- भारत की महान विरासत है संस्कृत साहित्य : योगी आदित्यनाथ*


*- विरासत को विकास के साथ जोड़ने के प्रयासों में काशी को बनाया गया है केंद्र बिंदु : मुख्यमंत्री* 


*- प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में आ गया है भारतीय संस्कृति, सनातन धर्म और भारत का समय : योगी आदित्यनाथ*


*- निश्चिंत होकर करें संस्कृत की पढ़ाई करें, सरकार करेगी सारी व्यवस्था : मुख्यमंत्री* 


*वाराणसी, 27 अक्टूबर।* मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय से रविवार को प्रदेश के संस्कृत विद्यार्थियों के लिए छात्रवृत्ति योजना का शुभारंभ किया। इस अवसर पर उन्होंने प्रदेश के 69,195 संस्कृत विद्यार्थियों को ₹586 लाख की छात्रवृत्ति संवितरण की शुरुआत की। मुख्यमंत्री ने प्रदेशभर में गुरुकुल पद्धति के आवासीय संस्कृत विद्यालयों को पुनर्स्थापित करने का भी संकल्प लिया। मुख्यमंत्री ने संस्कृत भाषा को विज्ञान और तकनीकी शिक्षा की भाषा के रूप में उभरने की संभावना पर जोर दिया और छात्रों से इसे गंभीरता से अपनाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि जो मानवता का पक्षधर है वह संस्कृत का भी हिमायती है। सीएम योगी ने पिछली सरकारों में संस्कृत शिक्षा को उपेक्षित रखे जाने की बात कही। 


*विज्ञान की भाषा है संस्कृत*

कार्यक्रम के दौरान योगी आदित्यनाथ ने कहा कि संस्कृत न केवल देववाणी है बल्कि यह विज्ञान की भाषा भी है, जो कंप्यूटर साइंस और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसी आधुनिक तकनीकों में उपयोगी है। उन्होंने कहा कि संस्कृत की विशेषताएं इसे तकनीकी दृष्टिकोण से सरल और सहज बनाती हैं। इसीलिए हम संस्कृत के संरक्षण और संवर्धन के लिए नए प्रयासों की दिशा में कार्य कर रहे हैं।


*सभी विद्यार्थियों का खुले बैंक अकाउंट* 

मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम में छात्रवृत्ति योजना का महत्व बताते हुए कहा कि पहले संस्कृत के केवल 300 विद्यार्थियों को ही छात्रवृत्ति मिलती थी, उसमें भी आयु सीमा तय करके रखा गया था, लेकिन अब हमारी सरकार ने इसे सभी छात्रों तक पहुंचाने का संकल्प लिया है। प्रदेश में संस्कृत के 69,195 विद्यार्थियों को इस योजना के तहत लाभान्वित किया जाएगा। उन्होंने सभी विद्यार्थियों का बैंक खाता खुलवाने का निर्देश भी दिया, जिससे उन्हें छात्रवृत्ति का लाभ सीधा और सुरक्षित रूप से मिल सके।


*नि:शुल्क छात्रावास और भोजन की व्यवस्था करने वाले विद्यालयों को मिलेगी विशेष सहायता* 

संस्कृत और भारतीय संस्कृति के महत्व को रेखांकित करते हुए योगी आदित्यनाथ ने कहा कि गुरुकुल शिक्षा पद्धति को फिर से प्रदेशभर में लागू करने की योजना है। उन्होंने कहा कि यह परंपरा ही हमारी असली ताकत है और इससे ही भारत विश्वगुरु के रूप में उभर सकता है। मुख्यमंत्री ने घोषणा की कि गुरुकुल संस्थानों को अतिरिक्त सुविधाएं दी जाएंगी, जिसमें छात्रों के लिए नि:शुल्क छात्रावास और भोजन की व्यवस्था करने वाले संस्थानों को सरकार की ओर से विशेष सहायता मिलेगी। ऐसे संस्थानों को अच्छे आचार्यों की नियुक्ति की भी स्वतंत्रता दी जाएगी।


*संस्कृत में विशिष्ट शोध को बढ़ावा दे रही सरकार* 

संस्कृत भाषा को और अधिक बढ़ावा देने के लिए योगी आदित्यनाथ ने कहा कि राज्य सरकार काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में स्थापित वैदिक विज्ञान केंद्र के माध्यम से संस्कृत के विशिष्ट शोध को प्रोत्साहित कर रही है। इस केंद्र में शोध करने वाले छात्रों के लिए विशेष छात्रवृत्ति भी दी जाएगी ताकि वे आर्थिक चिंता किए बिना अपने शोध को आगे बढ़ा सकें। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारतीय संस्कृति, सनातन धर्म और भारत का समय आ गया है। भारत के समय को नेतृत्व देने के लिए संस्कृत विद्यार्थियों को स्वयं को तैयार करना होगा। 


*सांस्कृतिक विरासत को संजोने का दायित्व सरकार और समाज का* 

उन्होंने कहा कि जब भौतिकवाद और चकाचौंध वाली दुनिया में हर व्यक्ति भौतिकता के पीछे भाग रहा है, तब भी यूपी में डेढ़ लाख बच्चे अपना जीवन संस्कृत और भारतीय संस्कृति के साथ समर्पित करते हुए आगे बढ़ रहे हैं। यह सरकार और समाज का दायित्व है कि इस विरासत को संजोए रखें। मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तर प्रदेश में शिक्षा व्यवस्था को मजबूत करने के लिए संस्कृत विद्यालयों में शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया में तेजी लाई जाएगी। जिन स्थानों पर अभी तक शिक्षक नहीं हैं, वहां मानदेय के आधार पर शिक्षकों की नियुक्ति की जाएगी और उनके अनुभव को वरीयता दी जाएगी।


*संस्कृत साहित्य देश की अमूल्य धरोहर*

मुख्यमंत्री ने संस्कृत साहित्य को देश की अमूल्य धरोहर बताते हुए महर्षि अरविंद के विचारों का हवाला दिया। उन्होंने कहा कि संस्कृत साहित्य भारत की महान विरासत है, जो देश की मूल प्रतिभा को जीवंत रखता है। उन्होंने विद्यार्थियों से आग्रह किया कि संस्कृत को केवल धार्मिक भाषा नहीं बल्कि विज्ञान, तकनीक और समाज की तमाम समस्याओं को सुलझाने का एक सशक्त माध्यम मानकर उसका अध्ययन करें। कार्यक्रम के अंत में मुख्यमंत्री ने कहा कि विरासत को विकास के साथ जोड़ने के प्रयासों में काशी को केंद्रबिंदु बनाया गया है। उन्होंने कहा कि दीपावली से छठ तक उत्सव और पर्व की परंपरा हमारी सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक है और इसे आगे बढ़ाने में हमारी युवा पीढ़ी का योगदान महत्वपूर्ण है। सरकार इस दिशा में हर संभव सहायता करेगी।


इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने 12 विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति का चेक देकर योजना का विधिवत शुभारंभ किया। इसमें सुहानी कुमारी, तनूजा शुक्ला, रंजना कुमारी, कृष्णा द्विवेदी, आर्यन चतुर्वेदी, अभिनव मिश्रा, स्मिता पाठक, अमन पाठक, योगेश कुमार दुबे, प्रिंस पांडेय, हर्ष कुमार मिश्र एवं योगी शामिल रहे।  


इस अवसर पर कैबिनेट मंत्री योगेन्द्र उपाध्याय, राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रविन्द्र जायसवाल, राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) दयाशंकर मिश्र दयालू, विधायकगण डॉ नीलकंठ तिवारी, त्रिभुवन राम, सौरभ श्रीवास्तव, सुनील पटेल, एमएलसी हंसराज विश्वकर्मा, जिला पंचायत अध्यक्ष पूनम मौर्य, कुलपति प्रो बिहारी लाल शर्मा, श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर न्यास परिषद् के अध्यक्ष प्रो नागेन्द्र पाठक, काशी विद्वत परिषद के अध्यक्ष प्रो वशिष्ठ त्रिपाठी, महंत शंकर पुरी जी महाराज, महंत संतोष दास जी महाराज, बालक दास जी महाराज, पं जगजीतन पांडेय, अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार, संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के आचार्यगण, संस्कृत विद्यालयों के प्रधानाचार्य और आचार्यगण सहित बड़ी संख्या में विद्यार्थी एवं अभिभावकगण मौजूद रहे।

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