मेरठ।देवाधिदेव महादेव का प्रिय महीना सावन 22 जुलाई से शुरू है।देवाधिदेव महादेव के भक्त उनकी कृपा पाने के लिए भक्ति में लीन हैं।इस पूरे महीने शिवालयों में भक्तों का तांता लगा रहता है।भक्त कांवड़ भी उठाते हैं।पांव में छाले और जुबां पर महादेव के जयकारों के साथ कांवड़िये मंजिल की ओर बढ़ते जा रहे हैं।कुछ मन्नत पूरी होने पर कांवड़ ला रहे हैं तो कुछ ने कांवड़ के साथ ही मन्नत भी मांगी है।
उत्तर प्रदेश के मेरठ में हाईवे पर कांवड़ियों की संख्या और दिनों से आज चार गुना अधिक रही।बारिश न होने से उमस और भीषण गर्मी है।भीषण गर्मी का एहसास और माैसम प्रतिकूल होने के बावजूद देवाधिदेव महादेव के भक्तों के कदम नहीं रुक रहे हैं।मेरठ में मोदीपुरम,कंकरखेड़ा,रुड़की रोड और दिल्ली रोड पर 150 से अधिक कांवड़ सेवा शिविर लगाए गए हैं। इन शिविरों में भक्त कुछ देर आराम करते हैं और फिर अपने गंतव्यों की ओर बढ़ रहे हैं।
आसमान से बरस रही आग,तपती सड़क, 37 डिग्री तापमान में सड़क पर नंगे पैर चलते कांवड़ियों का छलनी शरीर के असहनीय दर्द को भूलकर बम-बम भोले का उद्घोष करते हुए कांवड़ियों का सैलाब सड़कों पर उतर आया है।देवाधिदेव महादेव की भक्ति कांवड़ियों के पैरों के छाले में दर्द पर भारी पड़ रही है। महादेव भक्ति में डूबे भक्त शिवालयों की तरफ बढ़ रहे हैं। सेवक जगह-जगह कांवड़ शिविरों में कांवड़ियों की सेवा को अपना शौभाग्य मानकर चल रहे हैं।शिविरों में सेवा करते हुए वीआईपी भी देखे जा रहे हैं।
गर्मी ने आज मंगलवार 12 बजे के बाद कांवड़ियों के कदम रोक दिए।कांवड़ियों को शिविरों में विश्राम के लिए रुकना पड़ा। मेरठ के खिर्वा चौराहा के निकट कंकरखेड़ा व्यापार संघ की ओर से लगाए गए कांवड़ सेवा शिविर में दिल्ली यमुना किनारे मरघट वाले हनुमान मठ के मुख्य महंत वैभव शर्मा, सांसद अरुण गोविल,पूर्व विधायक सत्यप्रकाश अग्रवाल, कंकरखेड़ा व्यापार संघ अध्यक्ष नीरज मित्तल,भाजपा पूर्व महानगर अध्यक्ष मुकेश सिंहल,रालोद नेता सुनील रोहटा कांवड़ियों का चिकित्सा उपचार करते मिले। इस दौरान गणेश अग्रवाल, नीरज जटौली, पं. संजय त्रिपाठी, ठा. ओपी सिंह, हेतराम शाक्य, सुनील शर्मा आदि कांवड़ियों को भोजन कराकर धर्म लाभ उठाया।
बता दें कि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कांवड़ के कुछ नियम होते हैं।पहला नियम यह है कि जिस परिवार से कोई व्यक्ति या महिला हरिद्वार या गंगोत्री से कांवड़ लेने जाते हैं तो उनके साथ-साथ पूरा परिवार नियमों का पालन करना होता है।कांवड़ उठाने के बाद से परिवार में नियम लागू हो जाते हैं। उसी समय से तेल में तला भोजन बनना बंद हो जाता है। इतना ही नहीं घर की सफाई में झाड़ू का प्रयोग नहीं होता है।थपकी से कपड़े धोने पर भी प्रतिबंध है। साथ ही घर में किसी जानवर या पशु को पीटना भी प्रतिबंधित माना जाता है।अगर परिवार के किसी भी सदस्य ने नियमों का अनुपालन नहीं किया तो कांवड़ियों को मार्ग में परेशानियों से गुजरना पड़ता है।जैसे पैरों में छाले पड़ना, बदन में दर्द होना आदि मुख्य है।
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