चंद्रयान-3, विक्रम, प्रज्ञान, विकास... ये सब एक ही मिशन के हिस्सों का नाम है. पर ये आया कहां से? कैसे लिया गया ये फैसला कि यही नाम रखे जाएंगे? जब पूरी दुनिया Chandrayaan-3 की चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सफल लैंडिंग की तारीफ कर रही है. ऐसे में लोगों के दिमाग ये भी है कि इन नामों के पीछे की क्या कहानी है?
Chandrayaan-3 की सफल लैंडिंग ने पूरी दुनिया में भारतीय वैज्ञानिकों की धाक बढ़ा दी है. (सभी फोटोः ISRO)
Chandrayaan-3 की सफल लैंडिंग ने पूरी दुनिया में भारतीय वैज्ञानिकों की धाक बढ़ा दी है. (सभी फोटोः ISRO)
ऋचीक मिश्र
नई दिल्ली,
Chandrayaan-3 की सफलता का गुणगान पूरी दुनिया में हो रहा है. लेकिन इसके हिस्सों को दिए गए नामों पर भी चर्चा चल रही है. प्रज्ञान रोवर, विक्रम लैंडर और विकास इंजन. इन हिस्सों के नामकरण के पीछे का क्या कहानी है? संस्कृत में इन सबका मतलब क्या है? क्यों दुनिया की सबसे पुरानी भाषा के शब्दों को उठाया गया है नामकरण के लिए?
ISRO चीफ श्रीधरा सोमनाथ ने कहा था कि जो भारतीय साहित्य संस्कृत में लिखा गया है, वह बेहद उम्दा और असली है. वह भी बेहद फिलॉसॉफिकल रूप में. इस भाषा में जो वाक्यों को लिखने का जो तरीका है, वह इसे विज्ञान के बेहद करीब लेकर जाता है. इस भाषा में किसी चीज की रचना एक साइंटिफिक प्रक्रिया है.
चंद्रयान (Chandrayaan) का क्या मतलब है ... चंद्रयान-3 स्पेसक्राफ्ट को संस्कृत में चंद्रमा पर जाने वाला यान कहा गया है. यह नाम चंद्रमा पर जाने वाले यान और मिशन के लिए सबसे बेहतरीन और उपयुक्त था.
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