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रविवार, 29 अगस्त 2021

विरासत व विकास को साथ-साथ लेकर चलना होगा -पीएम मोदी

यहां आज भी गोलियों के निशान दिखते हैं। पीएम ने कहा कि जलियांवाला बाग वह स्थान है जहां सरदार उधम सिंह, सरदार भगत सिंह सहित हजारों बलिदानियों ने आजादी की लड़ाई लड़ने वालों को हौसला दिया। पीएम ने कहा कि वर्तमान समय में विरासत व विकास को साथ लेकर चलना होगा।
      प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि गुरुबाणी हमें सिखाती है सुख दूसरों की सेवा से ही आता है। हम सुखी तभी होते हैं जब अपनों की पीड़ा को भी अनुभव करते हैं। आज दुनिया भर में कहीं भी कोई भी भारतीय अगर संकट में घिरता है तो भारत पूरे सामर्थ से उसकी मदद के लिए खड़ा हो जाता है। अफगानिस्तान का वर्तमान संकट में हमने निरंतर अनुभव किया है। आपरेशन देवी शक्ति के तहत अफगानिस्तान से सैकड़ों भारतीयों को भारत लाया जा रहा है। वहां चुनौतियां बहुत हैं, हालात मुश्किल हैं। गुरु कृपा भी हम पर बनी हुई है। हम लोगों के साथ पवित्र गुरु ग्रंथ साहिब के स्वरूप को भी शीश पर रखकर भारत लाए हैं। बीते वर्षो में हमने जिम्मेदारी को निभाने के लिए जी जान से प्रयास किया है। मानवता की जो सीख हमें गुरु साहिब ने दी थी उसे सामने रखकर हम हर परिस्थितियों का सामना करने में सक्षम हैं।
     पीएम ने कहा कि यहां तक पहुंचने के लिए हमारे पूर्वजों ने कितना त्याग कितना। हर राष्ट्र का दायित्व होता है वह अपने इतिहास को संजो कर रखे। इतिहास में हुई घटनाएं हमें सिखाती भी हैं और आगे बढ़ने की दिशा भी देती है। जलियांवाला बाग जैसी एक और विभीषिका का हमने भारत विभाजन के समय भी संताप भोगा। पंजाब के परिश्रमी और जिंदादिल लोगों विभाजन के बहुत बड़े भुक्तभोगी रहे। विभाजन के समय जो कुछ हुआ उसकी पीड़ा आज भी हिंदुस्तान के सीने में है और विशेषकर पंजाब के परिवारों में हैं। हम इसे अनुभव करते हैं। किसी भी देश के लिए अपने अतीत की ऐसी विभीषिकाओं को नजरअंदाज करना सही नहीं है, इसलिए भारत में 14 अगस्त को हर वर्ष विभाजन की विभीषिका स्मृति दिवस के रूप में मनाया जाएगा, ताकि आने वाली पीढ़ियों शहादत को याद रखें। विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस आने वाली पीढ़ियों को भी याद दिलाएगी कि कितनी बड़ी कीमत चुका कर हमें स्वतंत्रता मिली है। वह उस दर्द, तकलीफ को समझ सकेंगे जो विभाजन के समय करोड़ों भारतीयों ने सहा था।
     पीएम ने कहा कि आज हम आजादी के 75 साल मना रहे हैं तो यह आवश्यक है कि हम अपने राष्ट्र की बुनियाद को मजबूत करें। उस पर गर्व करें। आजादी का अमृत महोत्सव आज इसी संकल्प को लेकर आगे बढ़ रहा है। अमृत महोत्सव में आज गांव-गांव में सेनानियों को याद किया जा रहा है। उनको सम्मानित किया जा रहा है। जलियांवाला बाग की तरह ही आजादी से जुड़े दूसरे राष्ट्रीय समारकों का भी नवीनीकरण जारी है।
     प्रधानमंत्री ने कहा कि इलाहाबाद में 1857 से लेकर 1947 की क्रांति को प्रदर्शित करने वाली देश की पहली इंटरएक्टिव गैलरी का निर्माण जल्द ही पूरा हो जाएगा। क्रांतिवीर चंद्रशेखर आजाद को समर्पित यह आजाद गैलरी क्रांति से जुड़े उस समय के दस्तावेजों का भी डिजिटल अनुभव देगी। इसी प्रकार कोलकाता में विक्रमी भारत गैलरी में क्रांति के चिन्हों को भावी पीढ़ी के लिए आधुनिक तकनीक के माध्यम से आकर्षक बनाया जा रहा है। इससे पहले सरकार द्वारा आजाद हिंद फौज के योगदान को भी इतिहास के पिछले पन्ने से निकलकर सामने लाने का प्रयास किया है। आजादी के महायज्ञ में हमारे आदिवासी समाज का बहुत बड़ा योगदान है।
     पीएम ने कहा कि जनजातीय समूह की त्याग और बलिदान की अमर गाथाएं आज भी हमें प्रेरणा देती हैं। इतिहास में किताबों में इसको भी इतना स्थान नहीं मिला जितना मिलना चाहिए था, जिसके वह हकदार थे। देश के 9 राज्यों में इस समय आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों और उनके संघर्ष को दिखाने वाली योजना पर भी काम चल रहा है। देश के लिए सर्वोच्च बलिदान देने वाले हमारे सैनिकों के लिए राष्ट्रीय स्मारक बनाया जाएगा।
     पीएम ने कहा कि नेशनल वार मेमोरियल आज के युवाओं में राष्ट्र और देश के लिए अपना सब कुछ न्यौछावर करने की भावना जगा रहा है। देश को सुरक्षित रखने के लिए पंजाब सहित देश के कोने-कोने से हमारे वीर सैनिक शहीद हुए थे। आज उनको उचित स्थान और उचित सम्मान मिला है। इसी प्रकार हमारे पुलिस के जवान, अर्धसैनिक बलों के लिए भी आजादी के इतने दशकों तक इस देश में कोई राष्ट्रीय स्मारक नहीं था। आज पुलिस और अर्धसैनिक बलों को समर्पित राष्ट्रीय स्मारक भी देश की नई पीढ़ी को प्रेरित कर रहा है।
     प्रधानमंत्री ने कहा कि पंजाब में तो शायद ही ऐसा कोई गांव ऐसी कोई गली है जहां शौर्य और शूरवीरता की गाथा न हो। गुरुओं के बताए रास्ते पर चलते हुए पंजाब के बेटे बेटियां मां भारती की तरफ टेढ़ी नजर रखने वालों के सामने चट्टान बनकर खड़े हो जाते हैं। हमारी यह धरोहर और समृद्ध हो इसके लिए निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं। गुरु नानक देव जी का 550 वां प्रकाश उत्सव व गुरु गोविंद 350 में प्रकाश उत्सव यह सभी पड़ाव सौभाग्य से बीते सात सालों में ही आए हैं।
    केंद्र सरकार ने प्रयास किया है कि देश में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में इन पावन पर्व के माध्यम से हमारे गुरुओं की शिक्षा का विस्तार हो। सुल्तानपुर लोधी को हेरिटेज बनाने का काम हो, करतारपुर कॉरिडोर का निर्माण हो यह इसी प्रयास का हिस्सा है। पंजाब की दुनिया के देशों से एयर कनेक्टिविटी हो या फिर देशभर में जो हमारे गुरु स्थान हैं उनकी कनेक्टिविटी हो, उसको सशक्त किया गया है। स्वदेश दर्शन योजना के तहत आनंदपुर साहिब, फतेहगढ़ साहिब, फिरोजपुर, अमृतसर खटकल कलां, कलानौर में हेरिटेज सर्किट को विकसित किया जा रहा है। कोशिश यह है कि हमारी यह समृद्ध विरासत भविष्य की पीढ़ियों को प्रेरित भी करती रहे और पर्यटन के रूप में रोजगार का साधन भी बने।
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