नई दिल्ली: अमेरिका ने भारत पर 25 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ के लिए नोटिफिकेशन जारी कर दिया है. 27 अगस्त से भारत पर कुल 50% का टैरिफ लग जाएगा. ट्रंप के टैरिफ बम से न केवल दुनिया भर की इकोनॉमी डगमगा रही है. बल्कि, इसका सीधा असर भारत की जीडीपी, यहां की नौकरियों पर दिख सकता है. क्योंकि, टैरिफ बढ़ने से भारत के 87 बिलियन डॉलर का निर्यात के एक्सपोर्ट पर असर पड़ने की आशंका है. आइए डिटेल में समझते हैं कि टैरिफ से भारत को किन-किन सेक्टर्स में कितना नुकसान हो सकता है।
*भारत की अर्थव्यवस्था पर असर:
*अमेरिका में 50 प्रतिशत टैरिफ लागू होने से भारत की अर्थव्यवस्था को गहरा झटका लग सकता है. भारत हर साल लगभग 80 अरब डॉलर का निर्यात अमेरिका को करता है, जो कुल निर्यात का 18 प्रतिशत और जीडीपी का लगभग 2.5 प्रतिशत है. इस टैरिफ से निर्यात में 50 प्रतिशत तक की कमी आ सकती है, इससे देश की जीडीपी में भी 0.4 प्रतिशत की गिरावट आ रही है।*
*नौकरियों पर संकट:
वित्तीय वर्ष 2026 में भारत की विकास दर 6 प्रतिशत से नीचे जा सकती है. रुपये की कीमत में कमी और निजी क्षेत्र में निवेश में गिरावट आ सकती है. डोमेस्टिक मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर पर भी असर पड़ेगा, जिससे अरबों डॉलर का नुकसान हो सकता है. फार्मास्यूटिकल्स और इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे क्षेत्र टैरिफ से फ्री रह सकते हैं, लेकिन सर्विस सेक्टरों पर गहरा प्रभाव पड़ेगा, जिससे लाखों नौकरियां खतरे में पड़ सकती हैं और बेरोजगारी बढ़ सकती है.
*टैरिफ से प्रभावित होने वाले प्रमुख सेक्टर:
टेक्सटाइल्स और अपैरल- इस सेक्टर का 10 से 15 अरब डॉलर का निर्यात प्रभावित हो सकता है. ऑर्डर वियतनाम और इंडोनेशिया जैसे देशों की ओर जा सकते हैं, जिससे भारत की प्रतिस्पर्धा कमजोर होगी और लाखों नौकरियां खतरे में पड़ सकती हैं.
जेम्स और ज्वेलरी- 9 से 10 अरब डॉलर का निर्यात प्रभावित होने की आशंका है. शिपमेंट रुकने से लाखों कारीगरों की आजीविका पर संकट आ सकता है. हालांकि, भारत दुबई और मैक्सिको में नई इकाइयां स्थापित करने की योजना बना रहा है, लेकिन यह प्रक्रिया समय लेगी.
ऑटो पार्ट्स- इस सेक्टर में करीब 7 अरब डॉलर का निर्यात प्रभावित हो सकता है. कीमतों में प्रतिस्पर्धा बढ़ने से हजारों नौकरियां दांव पर लग सकती हैं, खासकर कार, ट्रक और ट्रैक्टर पार्ट्स की इंडस्ट्री पर असर पड़ सकता है.
*इन सेक्टर्स पर भी होगा असर:
*सी-फूड- 2 से 3 अरब डॉलर (लगभग 24,000 करोड़ रुपये) का निर्यात प्रभावित हो सकता है. ऑर्डर रद्द होने से लाखों मजदूरों और किसानों को नुकसान होगा, जबकि इक्वाडोर और वियतनाम जैसे देशों को फायदा हो सकता है।
*कार्पेट मेकिंग- इस सेक्टर का 60 प्रतिशत निर्यात प्रभावित होगा, जिससे लगभग 25 लाख लोग प्रभावित होंगे. इसके साथ ही लेदर, केमिकल्स और मैकेनिकल मशीनरी सेक्टर्स के निर्यात में कमी से लाखों लोगों का रोजगार खतरे में पड़ सकता है।
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