लखनऊ।उत्तर प्रदेश में 10 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव की तारिखों की घोषणा अभी नहीं हुई है,लेकिन राजनीतिक दलों में अभी से हलचल तेज है। भारतीय जनता पार्टी ने सहयोगियों के बीच सीट बंटवारे का पत्ता खोला है, लेकिन एनडीए में सीट बंटवारे को लेकर रस्साकसी तेज हो गई है।सहयोगी दल आरएलडी और सुभासपा ने भले ही अभी तक सीट को लेकर आवाज़ नहीं उठाई है,लेकिन निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद ने भाजपा पर दबाव बनाने के लिए नया सियासी दांव चल दिया है।संजय निषाद ने बड़ा कदम उठाते हुए सभी 10 सीटों पर पार्टी के 10 विधायकों को प्रभारी के तौर पर उतार दिया है।
भाजपा की ओर से विधानसभा उपचुनाव की तैयारी शुरू करने के बाद से ही संजय निषाद कटेहरी और मझवा सीट पर कई मंचों पर चुनाव लड़ने की घोषणा कर चुके हैं।बता दें कि 2022 के विधानसभा चुनाव में यह दोनों सीटें निषाद पार्टी के ही खाते में थी।मझवा पर जीत हुई,लेकिन कटेहरी में निषाद पार्टी 5 हजार से अधिक वोटों से हार गई थी।
कांग्रेस और सपा इसे भाजपा और सहयोगी दलों की आपसी फूट बता रही है।कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी ने कहा कि ऑल इस नॉट वेल इन बीजेपी।अब सहयोगी दल ही भाजपा से दो-दो हाथ करने को तैयार हैं।सरकार को इसीलिए कई प्रस्तावित कदम वापस लेने पड़े हैं।संजय निषाद भी बीजेपी पर दबाव बना रहे हैं।
सपा नेता जूही सिंह ने कहा कि बीजेपी ने समझौता सुविधा अनुसार किया है।सत्ता के लिए कोई विचारधारा का मिलान नहीं है।इसीलिए संजय निषाद ने सीटों पर 10 विधायकों को प्रभारी घोषित कर दिया है।जूही सिंह ने कहा कि सत्ता में काबिज होने के लिए केवल समझौता करना बीजेपी की राजनीति है।बीजेपी में खुद में आपसी सामंजस्य नहीं है,आपसी कलह है, कौन उप है और कौन मुख्य पता ही नहीं चलता है।
मिली जानकारी के अनुसार सीट बंटवारे को लेकर इंडिया गठबंधन में भी कुछ ठीक नहीं है।कांग्रेस सपा पर पांच सीटों का दबाव बना रही है तो वहीं सपा कांग्रेस को दो सीटें देना चाहती है।दोनों ही दलों के मुताबिक आधिकारिक तौर पर आने वाले दिनों में बैठकों और फैसलों का दौर शुरू होगा, जिसमें सीट गठबंधन को लेकर नंबर फाइनल किया जाएगा।
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